संत समीर-
दुःखद है कि लू (हीटवेब) की वजह से इतने लोग मौत के शिकार हुए कि दिल्ली के निगमबोध घाट पर शवों की लाइन लग गई। अस्पताल भी ज़्यादा लोगों की जान नहीं बचा पाए।
उम्मीद है, अब आसमान में बादलों की उमड़-घुमड़ शुरू होगी और गर्म हवाओं का ताण्डव रुकेगा, फिर भी ख़बरें देख-सुनकर याद आ रहा है कि लू यानी हीटवेब से बचना और इसका इलाज करना होम्योपैथी में बेहद आसान है। समझिए कि हँसी-खेल जैसा। काश, एलोपैथी चिकित्सा तन्त्र को यह बात समझ में आए तो सेहत की कई मुश्किलें आसान हो जाएँ।
दवाएँ तमाम हैं, जो लक्षणों के हिसाब से दी जाती हैं, पर एक आसान-सी दवा का सुझाव यहाँ मैं दे रहा हूँ, जिसे मित्रगण याद कर सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर किसी की भी मदद कर सकते हैं। इस दवा का नाम है—ग्लोनायन-30 (Glonoinum-30)।
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तेज धूप में जब भी बाहर निकलना हो तो इस दवा की दो बूँदें जीभ पर टपका लीजिए। चाहें तो पन्द्रह-पन्द्रह मिनट पर तीन बार भी ले सकते हैं। याद रखिए कि बार-बार या दिन भर नहीं लेना है। इसे दवा नहीं, जादू समझिए। तेज धूप में भी यह लू लगने की स्थिति से आश्चर्यजनक रूप से आपको बचाएगी। एक साधारण सावधानी यह भी है कि धूप में बाहर निकलें तो भरपूर पानी पीकर निकलें।
अगर लू लग चुकी हो तो भी यह दवा तीन-तीन घण्टे के अन्तर पर दो-दो बूँद जीभ पर टपकाएँ। दवा गोलियों में हो तो चार-चार गोली जीभ पर रखकर चूसें। कुछ देर में आप आराम महसूस करने लगेंगे।
सिर्फ़ लू ही नहीं, धूप की वजह से और कोई परेशानी हो तो भी ग्लेनायन काम करेगी। यहाँ तक कि तेज धूप या गर्मी के असर से दिमाग़ सुन्न होने लगे या पागलपन का दौरा पड़ने लगे, तो भी यह दवा मुसीबत से उबार सकती है। होम्योपैथी में बीमारी के नाम के आधार पर दवा का नाम याद करने से ज़्यादा काम नहीं बनता, पर तेज धूप से पैदा हुई बीमारी के नाम पर ग्लोनायन को आप याद कर सकते हैं। जीवन में कभी भी काम आ सकती है।
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