संजय झा-
अभी पाकिस्तान से एक ऊंट का वीडियो वायरल हुआ। आपने भी शायद देखा-पढ़ा होगा कि फसल चरने मात्र पर कुछ लोगों ने उसका एक टांग काट लिया। उस ऊंट को रोते किसी पत्थर दिल आदमी ने भी देखा होगा तो मुझे यकीन है उसकी आंखें भी नम हो गई होगी।
फिर क्या था पूरा पाकिस्तान विरोध में खड़ा हो गया। फिर सरकार ने एक्शन लिया। उस ऊंट को संरक्षण दिया गया। बिलावल भुट्टो ने कहा कि वो सऊदी से प्लास्टिक की टांग मंगवा रहे। कल उस ऊंट का वीडियो देखा कि बड़े मजे से जूस पी रहा है। फिलहाल अभी पाँव में प्लास्टिक लगी नहीं है। मगर ये वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। लोग टांग काटने वाले किसानों को गालियां दे रहे हैं। भुट्टो की तारीफ कर रहे हैं कि लाखों खर्च कर वह टांग मंगवा रहा।
सब कुछ कुशल-मंगल लगता है। लगता है कि पाकिस्तान के लोग कितने भलमनसाहत हैं। लेकिन यहां सीन बदलकर देखिये। उसी पाकिस्तान में कल को ऊंट की कुर्बानी बंद करवा दी जाए तो क्या होगा? पूरा पाकिस्तान विरोध में खड़ा नहीं हो जाएगा? हर कोई फ़ूड चॉइस का नारा नहीं लगाएगा? स्वाद का मामला हो तो आदमी दूसरों का दुःख दर्द नहीं समझता। वह नहीं देखता कि उसकी थाली में जो भोजन है, वह कुछ मिनट पहले तक सांसे ले रहा एक निरीह जीव मात्र था।
यही पाकिस्तान के भलमनसाहत लोग ऊंट के टांग कटने पर बिलख कर रो रहे हैं, कल को ऊंट की गर्दन काटे जाने से रोके जाने पर विद्रोह कर देंगे। ये पाकिस्तान का मामला था तो वहां से एक उदाहरण दिया। दरभंगा में पिछले साल एक दूसरा मामला आया था। बलि प्रथा रोके जाने पर सैकड़ों लोगों की क्रूरता देखी थी कि धर्म के नाम पर उन्होंने क्या क्या खेल किया। खैर उस ऊंट के लिए मैं खुश हूं कि अपनी एक टांग गंवाकर अब वह पूरी जिंदगी आराम से जी पायेगा। मुझे यकीन है कि अब कभी किसी की थाली में उसका मांस नहीं सजेगा।
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