सुनील सिंह बघेल-
ayodhya : यह तो होना ही था..!! पहले चित्र में जो #rammandir के जो शिखर नजर आ रहे हैं, वह असली नहीं है.. बल्कि टेंट हाउस की तर्ज पर, बांस बल्ली से बनाए गए नकली शिखर हैं.. जाहिर है इस नकली शिखर की दरारों से पानी रिसकर गर्भ ग्रह में तो जाएगा ही ।
इसे थोड़ा और सही ढंग से दूसरे चित्र से समझिए…दूसरे चित्र में जो एरो से दर्शाया गया है, वह गर्भ ग्रह के ठीक ऊपर वाला हिस्सा है… वही जगह जहां प्लास्टिक बांस,बल्ली लोहे के पाइप से शिखर बनाया गया.. मॉडल के जगमग फोटो दिखाकर गोदी मीडिया के जरिए पूरे देश को भ्रम में रखा गया.. जब तक शंकराचार्य ने बवाल नहीं मचाया ,किसी को अंदेशा भी नहीं हुआ कि यह नकली शिखर है ..
तो जो यह शिखर वाली जगहें हैं.. वही पानी के रिसाव का सबसे बड़ा स्रोत बन गई है.. दूसरा चूंकि पत्थरो की चिनाई, नहीं बल्कि इंटरलॉकिंग की गई है…उनकी ऊपरी सतह को सील तो करना ही होगा..
अभी तो शुरुआत है साहब ..जरा मानसून को परवान तो चढ़ने दीजिए, इसके अलावा भी अभी 50 से ज्यादा ऐसी जगहें सामने आएंगी, जहां से जमकर रिसाव होगा…
रिसाव का तात्कालिक इलाज तो वही देसी है.. जैसे बरसात में गरीब झुग्गी झोपड़ियां के ऊपर पॉलिथीन की पन्नी बांधकर, अपना गुजारा करते हैं। अंध भक्तों के मुताबिक सूर्यभिषेक की तर्ज पर इस #जलाभिषेक का स्थाई इलाज तो तभी संभव है ,जब तीसरी मंजिल बनकर जल्द तैयार हो.. और विधिवत शिखर भी.. तब तक राष्ट्रीय गर्व के इस महान स्मारक को, कुछ समय के लिए ही सही ,अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी की चादर से ढकना होगा..